अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ - AN OVERVIEW

अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ - An Overview

अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ - An Overview

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हैं। जबकि माफ करने वाला कई बार बिना माँगे ही ऐसे मामलों में अपनी माफी दे देता

जितनी उसको पता नहीं थी कि उसमें ताक़त है, उससे ज़्यादा उसकी ताक़त उठने लगती है। लेकिन वो जो ताक़त है उसका लाभ सिर्फ़ उनको मिलता है जो सबसे पहले अपनी पूरी ताक़त झोंक दें।

आचार्य: आप बस अपनी जॉब नहीं छोड़ सकते, ये असंभव होगा। अगर आप वो ही बने रहे जो आप हैं, तो आप कभी अपनी जॉब नहीं छोड़ पाएँगी। आपको बहुत कुछ छोड़ना पड़ेगा अपनी जॉब छोड़ने से पहले। अभी आप जैसे हैं, आप बहुत सारी चीज़ों से जुड़े हुए हैं और उसमें आपकी नौकरी भी शामिल है। अगर आप सौ चीज़ों से जुड़े हुए हैं और आपकी नौकरी उनमें से एक है, तो आप अपनी नौकरी कैसे छोड़ देंगे बिना बाकी निन्यानवे चीज़ों को छोड़े हुए?

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प्र: हाँ, मैं पूरे तरीक़े से चाहता हूँ। जिस तरीक़े से भी होगा — आर्थिक, शारीरिक, मानसिक — website जो भी होगा। मेरा एक उद्देश्य बना हुआ था। घर के भी लोगों को पता है कि दो-हज़ार-तीस का मैंने समय निकाला हुआ था कि मैं छोड़ दूँगा। पैदल यात्रा करने का सोचा था मैंने, लेकिन अब लग रहा है उसकी भी ज़रूरत नहीं, आपके साथ हो जाएँ, बहुत है।

प्रश्नकर्ता: तो क्या स्वयं को किसी भी पहचान से परिभाषित करना ही अहम् है?

सच्ची प्रार्थना में दो बातें होती हैं। पहली बात, जिधर को जाना है, अर्थात् जो मांग रहे हो, जो कामना है, वो सही होनी चाहिए। और सही प्रार्थना यही होती है कि मैं न रहूँ। अभी रामप्रसाद बिस्मिल जी की हम पंक्तियाँ पढ़ रहे थे न उस दिन कि 'मैं न रहूँ बस मैं यही चाहता हूँ', यही प्रार्थना है।

प्र: तब तो फिर शांति के लिए जंगल में ही बस जाना चाहिए!

अमृतबिंदु उपनिषद् में कहा है — मन आप ही अपना दुश्मन है, मन आप ही अपना दोस्त है। अगर मुझे सूत्र सही याद है तो “मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः।” मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष, दोनों का कारण है। तो अच्छा अहंकार आप समझ गये न कौनसा होता है?

आचार्य: बढ़िया है, अच्छा है। यही तो सब जादू होता है कि सैकड़ों लोगों के सामने आपको कोई पागल बोले और ये बोल आपको मीठी भी लगे।

गीतिका समय पड़े तो आँखों को अंगार कीजिए कविता अहंकार अख़बार आषाढ़ की पहली बारिश एक कविता एक ललित गीत गाँव गाँव में चल भूख प्यास की भी कहानी लिख दे नये वर्ष की मधुर बधाई पटरियों पे दफ़न हुई आश पीठ पर हिमालय स्वतंत्रता दिवस के नाम पुस्तक समीक्षा जगती को गौतम बुद्ध मिला : धर्मेंद्र सुशांत भोजपुरी कहानियों की अनुपम भेंट : अगरासन - कृपी कश्यप विडियो ऑडियो विशेषांक में

मेरा पहला प्रश्न ये था कि क्या अहंकार समस्या की जड़ है, क्या अहंकार अच्छा नहीं हो सकता?

जो आपको बार-बार मुक्ति की तरफ़ ले जाये, वो अच्छा अहंकार है।

आसमान तक पहुँचने का सफर तय किया है। एक अभावग्रस्त बचपन जीने वाला यह व्यक्ति आज

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